कफी वक्त बाद आज मेरा लिखने का मन कर रहा है,
और वो वक्त भी वापस आगया जो गुजर चुका था,
हां श्याद थोड़ा दुखी हूं, पर ये भी वक्त के साथ चला जाएगा,
आज वो वक्त भी थक गया जो कभी थकता नहीं था,
आज वो दुख भी चला गया जो इतने अरसे से साथ में था,
आज फिर से कुछ बिछड़ी हुई यादे याद आगयी,
और वक्त ने फिर से दिखा दिया की कौन अपना है,
श्याद मैं अब वक्त को समझ चुका हूं या श्याद नहीं,
पहले सिर्फ़ रात वक्त का एहसास दिलाती थी अब दिन भी दिलाता है,
ये वक्त की बातें हैं और लोगो के पास वक्त ही नहीं हैं ये पढ़ने का,
वक़्त ने दुख काफ़ी दिया है पर ये वक़्त ही है जो अब मुझे संभाल रहा है,
अभी फ़िहलाल के लिए मैं चलता हूँ...
- आदित्य दुबे
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