So here I am with my weird thoughts again, I hope you all will like it...
बहुत समय बाद आज शायद तुम्हें मैं याद कर रहा हूं,
नहीं भुला नहीं हूं तुम्हे, याद आज भी उतनी ही आती हैं,
बस सोचा आगे बढ़ कर देखू,
अब कैसे बताऊं तुम्हे ये आगे बढ़ने की राह बहुत गंदी हैं,
पहले कितना सही था तुम्हे याद करता था, तुम्हारे बारे में लिखता था,
अब तुम नहीं हो, तुम्हे याद करता हूं पर लिख नी पता, पता नहीं क्यों ,
हां, जैसे जंगल में लोग खो जाते हैं, वैसे ही में भी अपनी जिंदगी में खो गया हूं,
बहुत लोग खो दिए मैंने इन ३ महीनों में ,
बहुत तनाव था दिमाग में, शायद अभी भी हैं,
कितनी बार आखिर कितने दिनों तक मैंने अपना मोबाइल स्विटफ ऑफ करके रखा था,
बस दुनिया से दूर जाना था, अपने आप से दूर जाना था ,
तुम होती तो कितना अच्छा होता, तुम नहीं हो तो सुना सुना सा लगता है अब,
आखिर बोला था मैंने , ये आगे बढ़ने की राह बहुत गंदी हैं,
क्या करे अब आगे बढ़ ही लिया है तो पीछे जाने का मन नहीं है,
खैर, रिश्ते बनते भी हैं , तो रिश्ते टूटते भी हैं,
याद आए तुम्हे कभी मेरी तो बताना जरूर क्या पता मुस्कान आ जाए चेहरे पर,
अंधेरे में रहने की बहुत अच्छी आदत डाल ली हैं,
क्यूंकि अब जिंदगी और अंधेरे में ज्यादा कुछ फर्क रहा नहीं हैं,
चलो एक बार और तुम्हे याद कर लिया, शायद अब आगे बढ़ना आसान होजाए,
शायद कुछ पन्ने अधूरे रह गए हैं मेरी जिंदगी में,
जो शायद अब कभी पूरे ना हो,
लेकिन वो कहते हैं ना जब जब जिंदगी ख़तम होने वाली होती हैं, तब तब तुम दुबारा जिंदा होते हो,
बस शायद अब यही सोच कर मैं वो अधूरे पन्ने पूरे कर पाऊ,
खैर मैं चलता हूं यहां से, तुम्हारी एक और याद यहां पर लिखदी, शायद अब सो पाऊं में...
- आदित्य दुबे
You did good by sharing your thoughts here, particularly in this phase of your life. उम्मीद पे दुनिया कायम है ।
ReplyDeleteYea ;)
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