वहीं तीन शब्द दो लोगो को दूर भी कर देता है,
आखिर कोई कमी तो होगी मुझमें जो शायद तूने ना बोला मुझे,
ऐसा क्या हैं मुझ में जो दोस्ती के लिए तो बहुत अच्छा हूं,
पर दोस्ती से थोड़ा सा आगे जाते ही कमी आ जाती हैं मुझे में,
ये सवाल में तुमसे पूछ रहा हूं क्यूंकि मुझे नींद नहीं आती हैं अब,
तुमने बहुत आसानी से बोल दिया कि प्यार एक ही बार होता है,
लेकिन तुम्हे ये पता हैं कि मेरी शुबह तुमसे शुरू होती है और रात तुम पर ख़तम होती है,
पता ही नहीं चला कि कब नींद लाने के लिए नींद कि गोली लेनी पड़ी,
पता ही नहीं चला कि रोने का मन भी करता था और आंसू भी नहीं आते थे,
पता ही नहीं चला कि कब अकेले रहने की आदत हो गई मुझे,
गलती कुछ मेरी थी और कुछ तुम्हारी भी थी,
बस फर्क इतना सा था कि हम दोनों को ही अपनी गलती नहीं दिखी,
बस वहीं तीन शब्द दिखे थे जिसका मतलब तुम्हारी और मेरी नजर में अलग था,
बहुत समझा लिया अपने आप को, अब और समझाया नहीं जाता,
शायद अब आदत सी पड़ गई हैं मुझे आखिर हर कोई यही करता है अब,
खैर लोग आते हैं जाने के लिए,
शायद तुम भी आईं थी जाने के लिए...
- आदित्य दुबे
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