आज अंधेरे ने भी पूछलिया,
क्यू अब तू इतना अकेला रहता है,
क्यू अब तू पूरी रात बात नहीं करता,
क्यू अब तुझे खुशी से डर लगता है,
क्यू अब तुझे मैं अपना सा लगता हूं,
खैर अब इन सब के जवाब भी शायद ही होंगे तेरे पास,
तुझे अंधेरा महसूस करते हुए देखता हूं,
तुझे रोते हुए देखता हूं,
तुझे रोज लिखते हुए देखता हूं,
काश तू यह बात समझ पाए की अब,
वक़्त आ गया हैं की तू आगे बढ़े,
वक़्त आ गया हैं कि तू जाकर उसको बतादे,
वक़्त आ गया हैं कि तुझे चले जाना चाहिए,
वक़्त आ गया हैं कि तू उससे खयाल बना दे,
आखिर कब तक तू लिखेगा और कब तक वो पढ़ेगी,
तूने तो अपनी मोहब्बत को इसमें जगा कर रखा है,
और वो रोज इस मोहब्बत को मरते हुए देखती हैं,
चलो मैं चलता हूं क्यूंकि सुबह हो गई हैं,
और तुझे ये भी नहीं पता चला,
काश एक दिन ऐसा हो जब में आऊ और तू नहीं दिखे मुझे...
- आदित्य दुबे
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