नया साल भी आ गया,
और तुम नहीं आयी हर बार की तरह,
समझा लिया अपने आप को,
की अगले साल तुम फिर आओगी...
नया साल भी आ गया,
और यादें वहीं हैं पुरानी सी,
जिनको हर दिन याद करके मैं,
नया बनादेता हूं...
नया साल भी आ गया,
वक़्त भी आगे बढ़ गया,
और तुम भी आगे बढ़ गई,
बस में ही वहीं पीछे रह गया...
नया साल भी आ गया,
नई तारीख भी आ गई,
नया दिन भी आ गया,
पर दर्द वहीं पुराना है...
काश कुछ नया होता इस साल में,
इंतज़ार है उस पल का,
जिसके लिए आज भी में यहां हूं,
जिसके लिए आज भी...
- आदित्य दुबे
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