टूट चुके थे वो ख्वाब मेरे,
जो कभी सोचे थे बिताएंगे साथ मेंटूट चुकी थी हिम्मत मेरी,
जब लगा की रहना हैं अब तेरे बिना
टूट चुके थे वो सारे वादें,
जो कभी नहीं टूटने वाले थे
टूट चुका था वो रिश्ता,
जो था सबसे करीब मेरे
खो चुकी थी वो हसी,
जब तू चली गई थी
खो चुका था में अपने आप को,
जब तू चली गई थी
खो चुका था अपनों को में,
जब दिल टूटा था
खो चुकी हैं वो सारी बातें,
जब तू चली गई थी
कांप चुकी थी रूह मेरी,
जब महसूस हुआ की रहना हैं अब तेरे बिना
कांप चुकी थी रूह मेरी,
जब दिल ने महसूस करी चोट
कांप चुकी थी रूह मेरी,
जब मैंने खोया अपनों को अपनी लड़ाई में
कांप चुकी थी रूह मेरी,
जब अंधेरा सामने नजर आया
टूट चुका हूं शायद मैं अब,
पर आज भी में बिखरा नहीं
- आदित्य दुबे
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