आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
अपनी जिन्दगी के बारे में,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
अपनी मुस्कुराहट के बारे में,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
अपनी उदासी के बारे में,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
उन यादों के बारे में जो हसाती थी कभी,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
उन यादों के बारे में जो अब रुलाती हैं,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
अपने लफ्जो के बारे में जो अब कुछ कह नहीं पाते,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
उन पलों के बारे में जो कभी हमेशा के लिए थे,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
की शायद कुछ अधूरा सा हैं अब मुझ में,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
की अब में उन बारिश की बूंदों को भी महसूस नहीं कर पाता,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
की अब नींद भी पूरी क्यू नहीं आती,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
की अब मैं रिश्ते निभाने से क्यू डरता हूं,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
की शायद वो पल, वो यादें, वो हस्ना, वो रोना सब आज के लिए ही बना था,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
की में अब अपनी जिंदगी जी भी रहा हूं कि नहीं,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
की सिर्फ में ही इतना सोच रहा हूं या तू भी सोचती हैं इतना,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
की तेरी मुस्कुराहट भी अब बदल सी गई है,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया
की शायद यही किस्मत का खेल है,
आज कुछ ज्यादा ही सोच लिया...
- आदित्य दुबे
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