कहना बहुत कुछ है तुझसे(समय),
पर हिम्मत नहीं हैं अब,
सारे अरमान सारी ख्वाहिशें सो सी गई है अब,
तूने मुझे तोड़ दिया हैं अंदर से,
अजीब सी हालत हैं अब,
शायद तू ही धीरे चल रहा है,
पर जब खुशी होती है तो तू इतनी जल्दी कैसे बीत जाता है?
बहुत सताया हैं तूने, बहुत रुलाया भी हैं,
पर आज भी तुझसे लडने की हिम्मत हैं,
तूने मुझे जीना सिखाया है ऐसा लोग कहते हैं,
पर मुझे लगता है तूने उन लोगो को ही छीन लिया जिनके लिए में जीता था,
लोगो को दूर करने से हम जीना सीख जाते हैं?
ये तेरी साजिश थी या किस्मत का खेल,
पर आज भी वही किस्से और कहानियां घूमती हैं,
वहीं जूठे कसमें और वादें घूमते हैं,
लोग कहते हैं यह समय भी बीत जाएगा,
पर मेरा तो पिछला समय ही नी बीता तो ये कब बीतेगा?
अब तो शायद मैं जी के मर रहा हूं,
जिन्दगी बस चली जा रही है,
हर दिन गुजरता जा रहा है,
और में बस जी के मर रहा हूं,
दिल में बहुत सी बातें हैं जो शायद अब कहीं छुप गई हैं,
जो जान हुआ करते थे पहले आज वहीं अनजान हैं,
काश मैं चीजें ना समझता तो शायद आज कुछ बेहतर होता,
आज सोचा बता दू तुझे भी की क्या हालत हैं मेरी,
डर सा लगता है अब,
लेकिन इस दर की भी आदत सी पड गई हैं अब,
हां आज भी चेहरे पर मुस्कान हैं,
शायद एक दिन मेरा भी अच्छा समय आएगा...
- आदित्य दुबे
Spelling of kehna is incorrect. Concept of the piece is nice ✅
ReplyDeleteThanks Vinita for the correction! :)
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