वो चेहरा जिसे मैं किसी भी भीड़ में पहचान लु,
वो चेहरा जिसे आज भी दिल याद करता है,
वो चेहरा जिसकी एक हँसी के लिए में कुछ भी कर सकता था,
वो चेहरा जिसे में आज भी अपने सपनों में देखता हुं,
वो चेहरा जो फूल से ज्यादा खिलता है,
वो चेहरा जो चांद से ज्यादा निखरता है,
वो चेहरा जो मेरी चाहत की वजह थी,
वो चेहरा जो मेरे रोते हुए चेहरे को हँसी मे बदल देती थी,
वो चेहरा जिसके सामने ताज महल भी फीका है,
वो चेहरा जिसको मैं अब अंजान मानता हुं,
वो चेहरा जो मेरा आज तक नही हुआ,
और शायद कभी होगा भी नहीं ।।
© आदित्य दुबे
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